जब भी कोई बड़ा भूकंप आता है तो हर शहर में खतरनाक इमारतों का सर्वे शुरू कर दिया जाता है. भूकंपरोधी भवन बनाने के लिए सख्ती करने की बात होती है लेकिन थोड़े दिन बाद हम सब भूल जाते हैं. जबकि बिना भूकंप के भी कई शहरों में इमारतें गिरने की घटनाएं होती रहती हैं.सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भूकंपरोधी मकान बनाना इतना महंगा है कि लोग इससे बचते हैं. कंफेडरेशन ऑफ रीयल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के अध्यक्ष गीतांबर आनंद कहते हैं कि निजी मकान बनाते वक्त लोग पैसे बचाने के चक्कर में उसे भूकंपरोधी नहीं बनवाते. जबकि भूकंपरोधी भवन बनाना सिर्फ 25 फीसदी ही महंगा पड़ता है.कंस्ट्रक्शन कंसल्टेंसी चलाने वाले सुरेश पांडे कहते हैं 15 फीसदी और रकम खर्च करके हम ज्यादा सुरक्षित हो सकते हैं. गुड़गांव नगर निगम के चीफ टाउन प्लानर रहे एससी कुश के मुताबिक भूकंप के लिहाज से सुरक्षित मकान बनाने में सिर्फ 20 से 25 फीसदी तक ही लागत बढ़ती है.नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (एनआईडीएम) में जियो हेजार्ड रिस्क मैनेजमेंट डिवीजन के प्रमुख प्रोफेसर चंदन घोष कहते हैं कि यह भ्रम फैलाया गया है कि भूकंपरोधी बिल्डिंग महंगी पड़ती है.
भूकंप के दौरान क्या आपका मकान सुरक्षित रहेगाहकीकत यह है कि ऐसे मकान बनाने में बहुत ज्यादा पैसा नहीं लगता. हम नई बिल्डिंग बनाते वक्त तो सावधानी बरतें ही पुरानी को भी ठीक कराएं. इसके लिए स्वायल टेस्टिंग करवाकर स्ट्रक्चरल इंजीनियर की मदद ली जा सकती है.क्या करता है स्ट्रक्चरल इंजीनियर
स्ट्रक्चरल इंजीनियर किसी निर्माण का स्ट्रक्चर से जुड़ा काम देखता है. बिल्डिंग के स्ट्रक्चर को डिजाइन करते समय वह आकलन करता है कि इमारत पर कितना लोड आएगा, किस पिलर पर कितना लोड होगा. मिट्टी की क्षमता कितनी है, उस स्थान पर भूकंप का कितना डर है. इन बातों को ध्यान में रखकर डिजाइन तैयार करता है. इसी हिसाब से कॉलम, बीम, फ्लोर, स्लैब आदि की मोटाई और उसमें सरिया आदि की संख्या तय होती है. ऐसा करने से मकान या बिल्डिंग सुरक्षित रहते हैं.
Constructions Consultant
Suresh Pandey
Ph. +91-8318192212
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